जीरो की खोज किसने की थी उसका नाम ZEERO KI KHOJ KISNE KI

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ZEERO KI KHOJ KISNE KI AUR KAB IN HINDI शून्य की खोज कब हुई 1 से 9 तक गिनती की खोज किसने की आर्यभट्ट ने जीरो का आविष्कार कब किया

जीरो की खोज गणित के क्षेत्र में एक महान खोज है इसलिए ही दुनिया में कई खोजे में से इसे एक महान खोज माना जाता है . आगे जाने जीरो की खोज कब कैसे किसने और कैसे किया


जीरो की खोज किसने की थी उसका नाम ZEERO KI KHOJ KISNE KI AUR KAB IN HINDI

जीरो की गणित के क्षेत्र में बहुत ही बड़ा योगदान माना जाता है . जीरो की सबसे अच्छी बात यह है की अगर आप इसे किसी संख्या से गुणा करते है तो आपको जीरो ही प्राप्त होता है . साथ ही अगर जीरो को किसी भी संख्या में जोड़ा या घटाया जाए तो संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है

मतलब जो संख्या पहले थी वह वैसे ही बनी रहती है . जीरो के ब्निना कोई संख्या बड़ी नहीं हो सकती है जैसे अगर आप एक में जीरो लगाते है तो 10 बन जाता है आप जितने जीरो लगाते है उतनी ही संख्या बड़ी होती चली जाती है .

जीरो की खोज किसने की थी उसका नाम

जीरो की खोज किसने की थी उसका नाम ZEERO KI KHOJ KISNE KI AUR KAB IN HINDI : जीरो की खोज या अविष्कार भारत में हुआ ऐसा माना जाता है और इसके खोजकर्ता आर्यभट्ट है लेकिन अमेरिकन गणितज्ञ आमिर एक्जेल का कहना है शुन्य की खोज भारत में नहीं बल्कि कम्बोडिया में हुआ 

शून्य के अविष्कार को लेकर कुछ अलग तथ्य भी है की अगर शून्य का अविष्कार 5वीं सदी में आर्यभट्ट जी ने किया फिर हजारों वर्ष पूर्व रावण के 10 सिर बिना शून्य के कैसे गिने गए बिना शून्य के कैसे पता लगा कि कौरव 100 थे 

ऐसे कुछ अलग अलग बाते है लेकिन आज तक यही कहा जा रहा की शून्य का अविष्कार 5वीं सदी में आर्यभट्ट जी ने किया था |
  • सवाल : अगर शून्य का आविष्कार 5वी सदी मे आर्यभट्ट जी ने किया तो
  • फिर हजारो साल पहले रावण के 10 सिर बिना शून्य के कैसे गिने गए
  • सवाल : बिना शून्य के कैसे पता लगा कि कौरव 100 थे ?
  • कृपा करके यदि जवाब पता हो तो बताए ?
  • इस सवाल का जवाब जानने से पहले हम आपको बता देते है
  • की कथित तौर पर शून्य की खोज  का श्रेय आर्यभट्ट जी को जाता है

ZEERO KI KHOJ KISNE KI AUR KAB IN HINDI

जीरो की खोज किसने की थी उसका नाम ZEERO KI KHOJ IN HINDI : आर्यभट्ट एक महान गणितज्ञ और खगोलविद थे जिनका जन्म पाटलीपुत्र मे हुआ था जिसे आज हम पटना के नाम से भी जानते है लेकिन बहुत से मतो के अनुसार उनका जन्म दक्षिण भारत मे भी माना जाता है

लेकिन यह सही मायने मे कह पाना की आर्यभट्ट यहा जन्मे थे तो यह एक मुश्किल बात है क्योकि आर्यभट्ट के जन्मस्थान को लेकर बहुत सारे विवाद है.
  • आर्यभट्ट एक महान गणितज्ञ थे
  • और इन्होने ही गणनाओ को एक विशेष चिन्ह द्वारा लिखने की शुरुवात की थी
  • उनसे पहले किसी भी लेख मे गणनाओ को शब्दो मे लिखा जाता था
  • एक दो तीन गयारा पंद्रा बीस आदि पर
  • आर्यभट्ट ने गणनाओ को आधुनिक नम्बर सिस्टम मे लिखना शुरू किया
  • उदाहरण - 1 2 3 11 20

शून्य की खोज कब हुई

ZEERO  की खोज किसने की थी उसका नाम : यहा पर ध्यान दे की १ २ ३ हिंदी चिन्ह है जबकि आर्यभट्ट ने इनकी जगह किसी और चिन्ह का प्रयोग किया था. अब हम अपने सवाल पर वापस आते है

अगर शून्य का आविष्कार 5वी सदी मे आर्यभट्ट जी ने किया तो फिर हजारो साल पहले रावण के 10 सिर बिना शून्य के कैसे गिने गए बिना शून्य के कैसे पता लगा कि कौरव 100 थे कृपा करके यदि जवाब पता हो तो बताए ?

यह एक तर्कसंगत सवाल है आखिर बिना शून्य के 10, 100 या अन्य संख्याओ की गणना कैसे हो सकती है तों इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमे पहले इतिहास को जानना होगा  पर उससे पहले हम आपको बता दे की खोज और आविष्कार मे क्या अंतर है

KHJOJ
  • खोज का अर्थ होता है
  • किसी ऐसी को समाज के सामने लाना
  • जिसके बारे मे समाज को जानकारी ना हो परंतु वह हो 

आविष्कार
  • किसी नई विधि रचना या प्रक्रिया के माध्यम से कुछ नया बनाना आविष्कार कहलाता है
  • न्यूटन गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त की खोज की
  • अर्थात गुरुत्वाकर्षण न्यूटन के पहले भी था
  • तो गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त को न्यूटन की खोज कहा जाएगा ना की आविष्कार

जीरो की खोज एक कहानी

कथित तौर पर शून्य की खोज करने वाले आर्यभट्ट का जन्म 476 ईस्वी मे आता देहांत 550 ईस्वी मे हुआ और रामायण तथा महाभारत का काल इससे भी पुराना है वर्तमान मे हिन्दी भाषा का लेखन कार्य देवनागरी लिपि मे किया जाता था और इससे पहले की लिपि ब्राह्मी लिपि मानी जाती थी

इस आधार पर हम कह सकते है की की शून्य की खोज देवनागरी लिपि के परचलन के बाद हुई || इससे पहले शून्य की परिकल्पना भी नहीं थी . ब्राह्मी लीपी मे गणना की व्यस्था थी लेकिन इसमे गणना शून्य नहीं था आप चित्र माध्यम से समझ सकते है की शून्य के बिना भी 10 20 या 100 जैसी संख्याओ की गणना हो सकती थी 

अब आप यह सवाल शायद ना पूछे की क्योकि अब आपको पता लग गया होगा की रावण के 10 सिर और कौरवो की संख्या गिनना उस समय मे कैसे सम्भव हुआ ?
  • शून्य की कहानी बहुत रोचक है
  • क्योकि शून्य एक ऐसी संख्या है
  • जो स्वय मे कुछ नहीं है मतलब यह खाली है
  • लेकिन खाली होते हुए भी पूर्ण है एक बार मैंने एक पुस्तक पढ़ी थी
  • जिसमे अध्यात्म और शून्य का संबन्ध बताया गया था
  • जिसमे शून्य को ईश्वर बताया गया था
  • उस पुस्तक के अनुसार भारतीय संस्कृति मे आत्मा को परमात्मा का अंश माना गया है
  • साथ ही भारतीय संस्कृति में ‘अहं ब्रह्मास्मि’ भी कहा गया है
  • और उस ब्रह्म को पूर्ण माना गया है।
  • शून्य का आधार कुछ ऐसा ही बताया गया है शून्य की तरह ईश्वर को भी पूर्ण माना गया है
  • 0 परमात्मा - 0 आत्मा = 0 परमात्मा
  • इसको आप इस तरह समझ सकते है आत्मा = परमात्मा |
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