महिलाओं के अधिकारों की जानकारी

महिलाओं के अधिकारों की जानकारी भारत एक विकासशील देश है आज भी महिलाओ को खुद के अधिकार नहीं पता है आगे जाने महिलाओं के अधिकारों की जानकारी इन हिंदी

    महिलाओं के अधिकारों की जानकारी इन हिंदी भारत एक विकासशील देश है साथ ही भारत का नाम पूरे वर्ड मे सभ्यता एंव संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है फिर भी इस देश मे आज भी महिलाओ को खुद के अधिकार नहीं पता है आगे जाने महिलाओं के अधिकारों की जानकारी इन हिंदी


    mahilaon ke adhikar

    भारतीय संविधान मे महिलाओ के सुरक्षा के लिए बहुत से कानून बने है जो उन्हे समाज मे सम्मान से रहने का अधिकार देता है

    महिलाओं के अधिकारों की जानकारी ?

    • लड़की जब 18 वर्ष की हो जाती है तो वह कानूनन वयस्क मान ली जाती है और उसे विवाह करने की स्वतंत्रा प्राप्त हो जाती है | वह जिस लड़के से चाहे विवाह कर सकती है | चाहे लड़का किसी भी धर्म या जाती से हो |
    • शादी के समय लड़कियो को मायके से दहेज के रूप मे काफी जेवर व रुपया प्राप्त होता है | लड़की के पास विवाह के बाद जो संपत्ति होती है चाहे वह मायके से मिली हो या ससुराल से, उस पर कानूनन अधिकार लड़की का होता है
    • अपने पति के मृत्यु या तलाक के बाद स्त्री अपने बच्चो के संरक्षक बनने का भी अधिकार प्राप्त है | चाहे पति की याचिका से पूर्व ही अपना दावा परस्तुत कर रखा हो फिर भी पत्नी को दावा दायर करने तथा बच्चो को अपने संरक्षण मे करने का अधिकार मिला है |
    • यदि स्त्री अपनी ससुराल मे पति या अन्य किसी भी व्यक्ति से प्रताड़ित होती है तो उसे आई. पी. सी. की धारा 498 A के तहत उनके विरुध्द्ध आपराधिक रिपोर्ट लिखाने का पूरा अधिकार है |
    • हिन्दू विवाह कानून के तहत स्त्रीया व्याभिचार, पागल, यौनरोग या लाइलाज रोगग्रस्त पति से छुटकारा पाने के लिए विवाह विच्छेदन हेतु याचिका दायर कर सकती है
    • तलाक के बाद महिलाए अपने और बच्चो के भरण पोषण की राशि लेने का भी दावा कर सकती है | भरण पोषण लेने राशि पाने के अधिकारी वह स्त्रीया होगी जो खुद काही नौकरी न कर रही हो, जिन्होने दूसरा विवाह भी न किया हो और स्वेच्छाचारी जीवन न बीता रही हो | बच्चो को उनके बालिग होने तक [ 18 साल ] तक ही भरण पोषण भत्ता मिलेगा |
    • तलाक के बाद भी स्त्री को पिता के मकान मे आकार रहने का पूरा अधिकार है चाहे वह मकान निजी हो या किराये पर |
    • पति के मृतु के बाद उसकी विधवा को अपनी ससुराल मे रहने का उतना ही अधिकार है जितना की पति के जीवित रहते था | मृत पति के संपत्ति पर उसकी पत्नी और बेटे बेटी का बराबर का हिस्सा होता है |
    • अगर पति की मृत्यु बिना वसीयत किए ही हो गई तो भी उसकी विधवा को अदालत मे याचिका दायर करने पर वसीयत के बिना भी अपना हक मिल सकता है |

    👉शादी के लिए लड़की लड़का का नंबर फ्री में पाए रजिस्टर करे

    Iklan Atas Artikel

    Iklan Tengah Artikel 1

    Iklan Tengah Artikel 2

    Iklan Bawah Artikel