ब्रह्म हत्या दोष क्या है कैसे लगता है ?

ब्रह्म दोष क्या है ब्रह्म दोष का मतलब ब्रह्म दोष के लक्षण ब्रह्महत्या का अर्थ meaning in hindi ब्रह्महत्या से मुक्ति ब्रह्म दोष कैसे लगता है
ब्रह्म दोष meaning in hindi ब्रह्म दोष या ह्त्या क्या है क्या आपको पता है अगर नहीं तो जाने | आपको बता दे ऋषि मुनियो ने सबसे बड़ा दोष ब्रह्म ह्त्या को माना है | यदि कोई राजा ब्रह्म हत्या करता है तो उसका राज्य और सारी सुख सम्पदा नष्ट हो जाती है | यदि कोई पुण्य आत्मा ब्रह्म हत्या का पाप करता है तो उसकी सारे पुण्य खत्म हो जाते है | परन्तु ये ब्रह्म हत्या का महापाप क्या है और आखिर किस पर ऐसा दोष लगता है | आपको बताना चाहेंगे ब्रह्म हत्या 4 चार तरह की मनी गई है

brham hatya kya hai

ब्रह्म हत्या दोष क्या है कैसे लगता है ?

  • गौ हत्या - गौ हत्या का मतलब संस्कृत मे मतलब होता है प्रकाश या ज्ञान तो जो व्यक्ति, प्रकाश को अथवा ज्ञान को रोकता है | अर्थात अन्य मनुष्यो को उनके ज्ञान प्राप्ति के मार्ग मे बांधा बनता है उसे ब्रह्म हत्या का पाप लगता है |
  • जीव हत्या - वैदिक सभ्यता मे जो जीव के प्राण है उन्हे ब्रह्म माना गया है वही परमब्रह्म या परमतत्व कहे गए है | अतः किसी भी व्यक्ति के प्राण लेना ब्रह्म हत्या का दोष लगने का कारण बनता है | परन्तु यदि किसी एक व्यक्ति के प्राण लेने से उसकी हत्या करने से अन्य जीवो का एंवम समाज का हित होता है एवम समाज को सुख प्राप्त होता है तो वहा ब्रह्म दोष नहीं लगता जैसे महाभारत के युद्ध मे अर्जुन ने इतने लोगो के प्राण लिए परन्तु अर्जुन को ब्रह्म दोष नहीं लगा वही राम रावण युद्ध मे राम ने श्री राम ने बहुत से राक्षतो का वध किया परंतु उन्हे ब्रह्म दोष नहीं लगा छत्रीय को अर्थात जो धर्म के लिए युद्ध करता है मतलब छत्रीय को किसी भी प्रकार की ब्रह्म हत्या का दोष नहीं लगता है |
  • गुरु की हत्या - गुरु को ब्रह्म माना जाता है हमारे ऋषियों मुनियो ने गुरु को प्रभुत्य का स्वरूप, धरती पर गुरु को बताया गया है | माता के गर्भ से केवल एक मांस के पिंड का जन्म होता है | लेकिन गुरु का ज्ञान उसे मनुष्य बना देता है | गुरु का वह ज्ञान उसे चेतना देता है एवम कर्म बंधन से मुक्त कर प्रभम्य मे लाता है | अतः किसी भी प्रकार से गुरु का अपमान, शारीरिक प्रहार अथवा किसी भी प्रकार का कुकृत्य किया जाना ब्रह्म दोष माना जाता है 
  • अंतरआत्मा की आवाज को अनसुना करना - अंतिम जो दोष का कारण वह है अपनी आत्मा की आवाज को अनसुना करना | आत्मा का जो ज्ञान है, आत्मा का जो आवाज है जो उसकी वाणी है उसे ब्रह्म की वाणी कहा जाता है | तो जो मनुष्य अपनी अंतरआत्मा की आवाज को अनसुना करता है उसे भी ब्रह्म हत्या का दोषी माना जाता है |