दीपावली खाश तौर पर हिन्दुवों का पर्व है लेकिन इस त्योहार को हिंदुस्तान मे कई धर्मो के लोग भी मिलकर मानते है दीपावली का पर्व 5 दिन का होता है दक्षिण भारत मे दिवाली के पहले दिन नरक चतुर्दर्शी का विशेष महत्व है क्योकि इस दिन मनाया जाने वाला Diwali Festival दक्षिण भारत के दिवाली उत्सव का प्रमुख दिन होता है उत्तर भारत मे यह त्योहार 5 दिन मनाया जाता है और यह धनतेरस से शुरू होता है और नरक च्तुर्दर्शी पर जाकर खत्म हो जाता है हम आपको दिवाली के 5 दिन मे क्या क्या होता है बता रहे है
दीपावली कैसे मनाया जाता है ?
- दीपावली के पहले दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है एंव धनतेरस को त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरी की पूजा मे विशेष स्थान है इसी दिन समुन्द्र मंथन से भगवान धन्वन्तरी अमृत कलश के साथ उत्पन्न हुए थे साअथ ही आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुन्द्र मंथन से निकले थे | इसलिए इस दिन का नाम धनतेरस पड़ा इस दिन लोग बर्तन, धातु के आभूषण इत्यादि खरीदते है जिसे एक परंपरा से मनाया जाता है
- दीपावली के दूसरे दिन को नरक चतुर्दर्शी, रूप चोदस और काली चौदस कहते है इसी दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध किया गया था और श्री कृष्ण भगवान द्वारा 16,100 कन्याओ को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कर उन्हे सम्मान प्रदान किया और इस उपलक्ष्य मे दियो की बारात सजाई जाती है
- तीसरे दिन को "दीपावली" के नाम से जाना जाता है और यही मुख्य पर्व होता है दीपावली पर माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है | माँ लक्ष्मी जब प्रकट हुई थी तो कार्तिक माह की अमावस्या का दिन था और साथ ही आपको बता दे माँ लक्ष्मी समुन्द्र मंथन से प्रकट हुई माँ लक्ष्मी को धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख समृध्धी का देवी माना जाता है इसलिए इस दिन माँ लक्ष्मी के स्वागत मे दीपो को जलाया जाता है जिससे अमावस्या की रात मे अंधकार दीपो की जगमगाहट के आगे खत्म हो सके इस दिन पर एक और मान्यता है कि इस दिन भगवान रामचंद्र जी माता सीता, भाई लक्ष्मण के साथ वनवाश काटकर 14 सालो के बाद घर वापस आए इसलिए श्री राम जी के स्वागत मे अयोध्यावासीयो ने अपने घरो मे दीप जालाए थे जिससे पूरा नगर दीपो से जगमगा गया | यही से दीपो के जलाने की परंपरा शुरू हुई
- दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा उत्सव को मनाया जाता है जिसे पड़वा या प्रतिपदा भी कहते है | इस दिन घर के आगन मे गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है साथ ही उनका पूजन किया जाता है और पकवानो के भोग लगाए जाते है इन्द्र्देव के गोकुलवासियो से नाराज होने पर मूसलधार बारिस शुरू कर दी थी तब भगवान श्री कृष्णा द्वारा अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गाँव के लोगो को बचाया तो इसलिए गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई
- भाई दूज और यम द्वितिया के नाम से इस दिन को जाना जाता है और भाईदूज 5 दिन के दीपवाली का अंतिम दिन है भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए और भाई के लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है यह कुछ रक्षाबंधन जैसे है लेकिन थोड़ा सा अंतर है जैसे - रक्षाबंधन बहन भाई के घर जाती है जबकि भाईदूज पर भाई बहन के घर जाता है और बहने भाई को तिलक करती है साथ ही भिजन भी कराती है