ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई OM KI UTPATTI KAISE HUI
ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई OM KI UTPATTI KAISE HUI ॐ का विज्ञान ॐ का रहस्य क्या है? ॐ बोलने के फायदे om ka arth om meaning in hindi ॐ की अपार शक्ति
ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई OM KI UTPATTI KAISE HUI हिन्दू धर्म में ओम शब्द का बहुत ही महत्व है लोग पूछते है ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई और ओम नाम का अर्थ रहस्य क्या है साथ ही ॐ बोलने के फायदे क्या है
ॐ शब्द ही ब्रहम है ॐ ही यह प्रत्यक्ष जगत् है। ॐ ही इस जगत की अनुकृति है। ॐ-ॐ कहते हुए ही शस्त्र रूप मन्त्र पढ़े जाते हैं। ॐ से ही अध्वर्यु प्रतिगर मन्त्रों का उच्चारण करता है।
OM कहकर ही अग्निहोत्र प्रारम्भ किया जाता है। ॐ कहकर ही ब्रह्म को प्राप्त किया जा सकता है सनातन धर्म से लेकर अन्य धर्म में भी ॐ शब्द को महत्व दिया जाता है जैसे बोध्य धर्म में जप एंव उपासना के लिए ॐ को प्रचुरता के महत्व दिया जाता है.
ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई
ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई OM KI UTPATTI KAISE HUI : राम नाम से 'र' 'अ' और 'म' क्रमशः ज्ञान वैराग्य व भक्ति के उत्पादक हैं । राम नाम से ॐ की उत्पत्ति राम शब्द की बहुत ही ऊँची श्रेष्ठता है वेदों में ईश्वर का नाम ॐ कहा गया है
इसी ॐ में समस्त संसार की सृष्टि प्रच्छन्न है अथार्त ॐ शब्द पर यदि गंभीरता से विचार किया जाए तो इसी के विस्तार और खंड आदि से संसार की समस्त वस्तुओं का प्रादुर्भाव हुआ है
सभी इसके रूपांतर मात्र हैं पार्वतीजी शिवजी से पूछती है जब संसार की सृष्टि ॐ से हुई है, फिर आप ॐ का जप क्यों नहीं करते? शिवजी कहते है- सारी सृष्टि ॐ से हुई है और राम नाम से ॐ की उत्पत्ति इसलिय में राम नाम का जप करता हु। ॐ को दूसरे प्रकार ओम से भी लिखते हैं यह रूप(ओम) उक्त ॐ का अक्षरीकृत रूप ही है
OM KI UTPATTI KAISE HUI
ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई OM KI UTPATTI KAISE HUI :
- व्याकरण शास्त्र के द्वारा -
- राम नाम से से ओम शब्द की उत्पत्ति हुई ।
- संधि के अनुसार -
- ओम का 'ओ' अ: के विसर्ग का अक्षरीकृत रूप परिवर्तन मात्र है
- इस विसर्ग के दो रूप होते हैं ।
- एक तो यह किसी अक्षर की संनिद्धि से ो हो जाता है या फिर र होता है
- यदि विसर्ग का रूपांतर ो न करके र किया जाए तो
- अ र म ही ओम का दूसरा रूप हुआ ।
- तब इन अक्षरों के विपर्यय से राम स्वतः बन जायेगा
ओम शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई OM KI UTPATTI KAISE HUI :
अ र म को यदि र अ म ढंग से रखें और र म व्यंजनों को स्वरांत मानें तो राम बन जाता है । इस तरह से जब राम ॐ का रूपांतर मात्र है तो फिर राम विधि हरी हर मय भी है ।
राम और ॐ का विपर्यय इस प्रकार है : राम = र अ म अ र म अ : म अ ो म ओम ॐ इसी तरह ॐ का ॐ = ओम अ ो म अ र म र अ म राम इस तरह राम = ॐ इस तरह जैसे ॐ ब्रह्मा,विष्णु व शिव अथार्त विधि,हरि व हर मय है उसी तरह राम भी विधि हरि हर मय है ।
देवो के देव शिवजी भी ॐ का नहीं राम नाम का जप करते है, किन्तु आज जिन्हें ॐ जप का अधिकार नहीं है(शूद्र और स्त्री) केवल अपने अहंकार की पुष्टि के लिए राम नाम को छोड़ कर ॐ का जप करते है । यही अहंकार से ॐ जप करने पर भी विनाश ही होता है ।
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