रॉकेट का अविष्कार कब और किसने किया

रॉकेट का अविष्कार कब और किसने किया रॉकेट की कार्यप्रणाली राकेट का अविष्कार कैसे और कब हुआ राकेट के बारे में जानकरी के खोजकर्ता का नाम
रॉकेट का अविष्कार कब और किसने किया रोकेट का नाम तो आपने सुना होगा रॉकेट का अविष्कार कब और किसने किया क्या आप जानते है अगर नहीं तो जाने रॉकेट का अविष्कार कैसे हुआ ?

रॉकेट एक ऐसा वायुयान है जिसे किसी भी वातावरण मे उड़ा सकते है | ऐरोप्लेन को उड़ान भरने के लिए हवा कि जरूरत होती है लेकिन रॉकेट को उड़ान के लिए हवा कि जरूरत नहीं होती | धरती पर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए एरोप्लेन बनाया गया लेकिन धरती से बाहर के वातावरण मे जाने के लिए मतलब अन्तरिक्ष मे जाने के लिए रॉकेट का आविष्कार हुआ रॉकेट का आविष्कार मानव के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता रहा है क्योकि रॉकेट के आविष्कार से नई नई खोजे हुई और वैज्ञानिको को धरती से बाहर बहुत सारे रिसर्च किया और साथ ही अभी दूसरे ग्रह पर जीवन कि खोज करने के कोशिश कि जा रही है साथ ही रॉकेट यान ने मानव को धरती से चंद्रमा पर पहुचाया है

Rocket ki khoj

रॉकेट का अविष्कार कब और किसने किया ?

रॉकेट  का अविष्कार खोज किसने किया : रॉकेट एक इंगलिश शब्द है जिसे हिन्दी मे मिशाइल कहा जाता है रॉकेट का इस्तेमाल सबसे पहले चीन मे मे किया गया और उस समय रॉकेट को हथियार के रूप मे इस्तेमाल किया जाता था उस समय का सबसे शक्तिशाली हथियार के रूप मे रॉकेट का प्रयोग किया जाता था सन 1232 मे चीन और मंगलो के युद्ध मे रॉकेट का सबसे पहले इस्टेलाल किया गया

ऐसा माना जाता है मंगलो द्वारा रॉकेट टेक्नोलोजी का यूरोप मे विस्तार हुआ और फिर यह धीरे धीरे यूरोप से एशिया तक फेल गया | इतिहास को खंगाला जाए तो पता चलता है कि टीपू सुल्तान द्वारा अंग्रेजी सेना से भिड़ंत के समय लोहे से बने रॉकेटो का इस्तेमाल किया |

दुनिया का पहला तरल ईधन सन 1926 मे रोबर्ट गोडार्ड द्वारा शुरू किया गया और 16 मार्च 1926 को आबर्न मैसाचूसेट्स पर दुनिया का पहला तरल ईधन रॉकेट प्रक्षेपण था

रॉकेट की कार्यप्रणाली

रॉकेट इंजन क्रिया और प्रतिक्रिया सिद्धांत पर काम करता है इसे समझने के हम कुछ उदाहरण दे रहे है
  • आपने एक गुब्बारे मे हवा भरकर उसे छोड़ा ही होगा। गुब्बारा उसके अंदर की हवा के खत्म होने तक तेज गति सारे कमरे मे इधर उधर उड़ता फिरता है। यह एक छोटा सा राकेट इंजीन ही है। गुब्बारे के खूले सीरे से हवा बाहर उत्सर्जित होते रहती है, जिससे उसकी विपरीत दिशा मे गुब्बारा जा रहा होता है। हवा का भी भार होता है विश्वास ना हो तो एक खाली गुब्बारे का वजन और उसके बाद हवा भरकर गुब्बारे का वजन लेकर देंखें
  • आपने अग्निशामक दल के कर्मियों को पानी की धार फेंकने वाले पाइप को पकड़े देखा होगा। इस पाइप को पकड़ने काफी शक्ति चाहीये होती है, कभी दो तीन कर्मी इस पाइप को पकड़कर रखते है। इस पाइप से तेज गति से पानी बाहर आता है, जिससे उसके विपरीत दिशा मे प्रतिक्रिया होती है जिसे अग्निशामन दल के कर्मी अपनी शक्ति से नियंत्रण मे रखते है। यह भी राकेट प्रणाली का एक उदाहरण है
  • किसी बंदूक से गोली दागे जाने पर बंदूक के बट से पीछे कंधे पर धक्का लगता है। यह पिछे कंधे पर लगने वाला धक्का ही गोली के सामने वाली दिशा के जाने की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप है। यदि आप किसी स्केटबोर्ड (पहीयो वाली तख्ती) पर खड़े हो कर यदि गोली चलायें तो तब आप उसके धक्के से विपरित दिशा मे जायेंगे। गोली का दागा जाना भी एक राकेट इंजन के जैसे कार्य करेगा। 
  • पानी मे नाव : जब आप चप्पू चलाते है, तब पानी को पीछे धकेलते है, प्रतिक्रिया स्वरूप नाव विपरीत दिशा मे बढ़ती है