समुद्र मंथन किस समुद्र में हुआ था रहस्य अर्थ सच्चाई जानिए

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samudra manthan in hindi आपने किताबी मे या किसी पौराणिक धारावाहिक में अमृत के बारे मे कितनी बार सुना होगा ! अमृत का नाम आते ही एक अमृत मंथन की एक छवि उभरकर सामने आ जाती है ! आपके मन मे यही छवि बनी होगी की देवतागढ़ और अमृत को लेकर भागे राक्षस !! पर क्या अपने अमृत से जुड़े तथ्यों को तलाशने को कोशिश की है  अगर नही तो चलिए आज जानते है अमृत क्या है  और क्या आज भी इसे पाना सम्भव है

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आपने अमृत क्या है टीवी सीरियल को देखकर आपने ज़रूर जान लिया होगा ! और जिसे नही पता अमृत क्या है तो उन्हे बताना चाहूंगा की अमृत होने का मतलब होता है दुनिया पर राज़ करना ! अनंतकाल तक जीना और जो चाहे वह करना ! अमृत अगर कोई पी ले तो समझिए वह अमर हो गया ! 7 चिरंजीवीयो का उल्लेख महाभारत मे मिलता है ! और चिरंजीव का मतलब है अमर व्यक्ति
अमर होने का रहस्य क्या है इसे जानने से पहले हम पहले यह जान लेते है अमृत मंथन क्यों हुआ था और अमृत का सेवन किस किस ने किया था ! अमृत का स्वाद और इसके अलावा जानेगे की क्या आज के समय मे अमृत पाना संभव है

समुद्र मंथन किस समुद्र में हुआ था रहस्य अर्थ सच्चाई जानिए

समुन्द्र मंथन क्षीरसागर मे शुरू हुआ ऐसा कहते है | 27 अक्तूबर 2014 की खबर के अनुसार आर्कियोलोजी और ओशनोलोजी डिपार्टमेंट ने सूरत जिले के पींजरात गाँव के पास समुंदर मे मंदराचल पर्वत होने का दावा किया था  | आर्कियोलोजी मितुल त्रिवेदी के अनुसार बिहार के भागलपुर के पास स्थित भी एक मंदराचल पर्वत है जो गुजरात के समुन्द्र से निकले पर्वत का हिस्सा है |

एक न्यूज़ चैनल की खबर के मुताबिक बिहार और गुजरात मे मिले इन दोनों पर्वतो का की बनावट एक ही तरह के ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है | मतलब यह दोनों पर्वत एक ही है | जबकि आमतौर पर ग्रेनाइट पत्थर के पर्वत समुन्द्र मे नहीं मिला करते || जो पर्वत खोजा गया है उस पर्वत के बिचोबीच नाग आकृति है | और इसलिए ऐसा लगता है यही पर्वत मंथन के दौरान इस्तेमाल किया गया होगा |और इसी कारण गुजरात के समुन्द्र मे मिला यह पर्वत शोध का विषय बना हुआ है |




सन 1998 मे पिंजरात गाँव के समुन्द्र मे किसी प्राचीन नगर के अवशेष मिले है | और इस अवशेष को लोग मानते है की यह भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका के है | एक शोधकर्ता ने बताया है वह और उसके कुछ साथी 800 मीटर की गहराई तक अंदर गए हुए है और उन्हे पर्वत पर घिसाव का निशान मिला है |

जल ही जीवन है और यह भी सच है की जल मे कुछ ऐसे तत्व मौजूद है जिससे अमृत निकाला जा सकता है | एक शोधअनुसार पता चला है की गंगा मे ऐसे गुण है जिससे की उसका जल कभी सड़ता नहीं और ऐसा जल अमृत के समान ही है

बहता नदी का जल है अमृत समान - नदी का पानी पीने लायक होता है और समुन्द्र का पानी पीने लायक नहीं | कुछ लोगो का मानना है की ग्रह और नक्षत्रों की विशेष स्थिति मे धरती का जल अमृत के समान हो जाता है | लेकिन आपको पता ही है आजकल सभी नदीयो का जल परदूषित कर दिया गया है |

संजनीवनी बूटी की कथा आपने सुनी होगी और इस बूटी की कथा भी अमरता से जुड़ी है | और इस विद्या का ज्ञान असुरो के गुरु शंकराचार्य के पास थी ऐसा कहते है |

आपने टीवी सीरियल मे शायद देखा होगा युद्ध मे जब दैत्य मारे जाते थे तो वे उनको संजीवनी बूटी देकर जिंदा कर दिया करते थे | और आज के समय मे भी इस बूटी को ढूंढा जा सकता है |



विज्ञान भी इस दिशा मे कार्य कर रहा है की कैसे किसी को अमर किया जाए मतलब कभी न मरे | इसके लिए बहुत सारे प्रयोग शोधकर्ताओ और प्रयोगशालों मे किए जा रहे है | रूस के साइबेरिया के जंगलो मे एक ऐसी ओषधि पाई जाती है जिसे जिंगसिंग कहते है | और इसका चीन के लोग करके देर तक युवा बने रहते है |